कामधेनुगुणा विद्या, ह्यकाले फलदायिनी -
Vidyarathi ke Liye Chanakya niti
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प्रस्तुत श्लोक में आचार्य ने "विद्या सभी इच्छाएँ पूर्ण करने वाली है " ऐसा कहा है |
कामधेनुगुणा विद्या, ह्यकाले फलदायिनी |
प्रवासे मातृसदृशी विद्या, गुप्तं धनं स्मृतं ||
अर्थ :-
कामधेनु के समान सभी इच्छाएँ पूर्ण करने वाली है | विद्या से सभी फल समय पर प्राप्त होते हैं | परदेस में विद्या माता के समान रक्षा करती है | विद्वानों में विद्या को गुप्त धन कहा है, अर्थात विद्या वह धन है, जो आपातकाल में काम आती है | इसका न हरण हरण किया जा सकता है और न ही चुराया जा सकता है |
सन्देश :-
विद्या सभी प्रकार से सुरक्षित और समय पड़ने पर रक्षा करने वाली है | इसे जितना दिया जाता है, यह उतना ही बढ़ता है | इससे बड़ा कोई दूसरा धन नहीं है | इसे न ही कोई छीन सकता है और न ही कोई आपस में बाँट सकता है |
- चाणक्य निति से
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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