शैले- शैले न माणिक्यं, मौक्तिकं न गजे-गजे
Chandanam na Vane-Vane
Chandanam na vane vane with hindi meaning |
About this Shlok
चन्दनम् न वने वने"
आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित ज्ञानवर्धक एवं सदा जीवंत रहने वाला श्लोक है | इसकी प्रासंगिकता इतनी महान है, कि इसे अपने जीवन में उतारकर या फिर कहें तो आत्मसात करके जीवन में कामयाबी के सर्वोच्च शिखर तक पहुंच सकता है | इस श्लोक में आचार्य ने स्पष्ट रूप से ये बताया है, कि विशिष्ट गुण वाली वस्तुएं सर्वदा विशिष्ट जगहों पर होती हैं |
श्लोक इस प्रकार से है |
शैले- शैले न माणिक्यं, मौक्तिकं न गजे-गजे |
साधवो न हि सर्वत्र, चन्दनं न वने-वने ||
अर्थ :-
हर एक पर्वत में मणि नहीं होतीऔर हर एक हाथी के मस्तक में मोती नहीं मिलते ।
साधु (सज्जन) लोग सभी जगह नहीं मिलते और हर वन में चन्दन के वृक्ष नहीं होते।|
सन्देश:-
विशेष गुण वाली वस्तुओं को विशिष्ट जगहों पर ही खोजना चाहिए, क्योंकि अच्छी चीज़े सब जगह नहीं होतीं। जिस प्रकार से सामान्य जीवन में हमें विभिन्न प्रकार की वस्तुएं और सेवाएं भिन्न - भिन्न जगहों पर मिलती हैं |
यदि विद्यार्थी जीवन की बात करें तो जिस विद्यार्थी को जिस किसी भी विषय विशेष का अध्ययन करना होता है वह उस विषय के अध्यापक के पास जाना पड़ता है | क्योकि प्रत्येक शिक्षक सभी प्रकार के विषयों की विवेचना भली - प्रकार से नहीं कर सकता |
इतना ही नहीं दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले वस्तुओं के लिए भी हमें विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों के पास जाना पड़ता है | क्योकि जिस काम के लिए हम जिस व्यक्ति के पास जाते हैं वह व्यक्ति उस कार्य में पारंगत है |
- चाणक्य निति से
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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