Jaya twam Devi chamunde |
प्रस्तुत श्लोक दुर्गा सप्तशती से लिया गया है | इस श्लोक में जगत जननी जगदम्बा का गुणगान किया गया | इस श्लोक में मां भवानी के परम, विशाल एवं पावन दयामय रूप का स्मरण कर माता का जयघोष किया गया है, और ये प्रार्थना की गई है, कि माता सबकी रक्षा करें |
मन्त्र
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहरिणी |
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते ||
अर्थ
हे चामुण्डे ! तुम्हारी जय हो |
प्राणियों का संताप हरण करने वाली हे देवि !
तुम्हारी जय हो |
सब में व्याप्त रहने वाली हे देवि ! तुम्हारी जय हो |
संहार रूप से संसार का विनाश करने वाली हे देवि ! तुम्हारी जय हो |
संदेश
हमें सदैव मातारानी की प्रार्थना करनी चाहिए |
और उन्हें धन्यवाद देना चाहिए | कि जो कुछ भी हमारे पास है, सबकुछ उन्हीं की कृपादृष्टि से ही है |
- दुर्गा सप्तशती
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.
Emoji