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मोबाईल पर कविता (हिन्दी में) Poem on mobile phone- Cell phone love poem

मोबाईल पर कविता (हिन्दी में)
Poem on mobile phone- Cell phone love poem



ऐ ! मोबाइल कितनी अच्छी है तूँ ,
गम हो या खुशियाँ,
हर वक्त की हमजोली है तूँ ,
कितनी अच्छी है तूँ |

ऐ! मोबाइल कितनी अच्छी है तूँ। ...

माँ-बाप, भाई-बहन सबके दिल की बात है तूँ ,
पारस्परिक-सम्बन्धों को एकीकृत करनें वाली,
अनभिज्ञ एहसास है तूँ ,
दिल के कितने पास है तूँ .....

ऐ! मोबाइल कितनी अच्छी है तूँ। ...

दूर बैठा विद्यार्थी तेरा ही सहारा लेता है,
तस्वीरों को प्रेषित कर घर पे, अपनी खबर देता है।
कहता है माँ से-
देख ले ! अपनें बेटे की......
चंचल, प्यारी और संघर्षशील छवि।

ऐ! मोबाइल कितनी अच्छी है तूँ। ...

मित्रों के बीच का प्यार है तूँ ,
कभी ख़ुशी कभी तकरार है तूँ।
सामंजस्य स्थापित करनें वाली,
हर-दिन, हर-पल एक त्यौहार है तूँ।

ऐ! मोबाइल कितनी अच्छी है तूँ। ...

प्रेमी के मन की आस है तूँ ,
प्रेमिका के हृदय की प्यास है तूँ।
रिश्तों  में मधुरता लाने वाली,
इसलिए इतनी खास है तूँ।

 ऐ! मोबाइल कितनी अच्छी है तूँ। ...

कितनें ही दर्द छुपाते हुए,
खुशियों का भंडार है तूँ।
किसी गरीब के हाथ में,
एक मनमोहक उपहार है तूँ।

 ऐ! मोबाइल कितनी अच्छी है तूँ। ...

तूनें मन की वेदना को,
एक प्यारा सा आराम दिया।
विद्यार्थी के जीवन में ,
शिक्षा का वरदान दिया।
तूँ आगे भी देती रहेगी,
सबको अपना प्यार,
और सबके दिल में खिली रहेगी,
बन के नव-नूतन त्योहार।

इसलिए इतनी अच्छी है तूँ।

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर - प्रदेश 

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