तेरा होना चाहता हूँ
तेरे दिल में जो जलता रहे,
वो चिराग होना चाहता हूँ ।
कल तक था बर्बाद,
अब आबाद होना चाहता हूँ ।।
ऐ रूपवती ! तेरे यौवन का,
मैं श्रृंगार होना चाहता हूँ ।
तेरे नयनों का काजल,
प्रेम पुकार होना चाहता हूँ ।
परिणय हमारे सांसो का,
अनमोल कहानी कहता है ।
जो प्रलय तक न कम हो,
वो तेरा प्यार होना चाहता हूँ ।।
तेरे, रसवंती होठो का मैं,
हर गीत होना चाहता हूँ ।
सुबह - शाम जो साथ रहे,
वो मीत होना चाहता हूं ।।
तेरी बाहों से जो लिपटा रहे,
वो रेशमी चुनर होना चाहता हूँ ।
तूँ जो देखे पूनम रातों में ,
वो सपना सुंदर होना चाहता हूँ ।।
चाहता हूँ तुझे मैं ,
मानता हूँ अपनी चाहत ।
दिलमें बसा के तुझको,
तेरे हर दर्द सहना चाहता हूँ ।।
मैं बस, तेरा होना चाहता हूँ.......
वो चिराग होना चाहता हूँ ।
कल तक था बर्बाद,
अब आबाद होना चाहता हूँ ।।
ऐ रूपवती ! तेरे यौवन का,
मैं श्रृंगार होना चाहता हूँ ।
तेरे नयनों का काजल,
प्रेम पुकार होना चाहता हूँ ।
परिणय हमारे सांसो का,
अनमोल कहानी कहता है ।
जो प्रलय तक न कम हो,
वो तेरा प्यार होना चाहता हूँ ।।
तेरे, रसवंती होठो का मैं,
हर गीत होना चाहता हूँ ।
सुबह - शाम जो साथ रहे,
वो मीत होना चाहता हूं ।।
तेरी बाहों से जो लिपटा रहे,
वो रेशमी चुनर होना चाहता हूँ ।
तूँ जो देखे पूनम रातों में ,
वो सपना सुंदर होना चाहता हूँ ।।
चाहता हूँ तुझे मैं ,
मानता हूँ अपनी चाहत ।
दिलमें बसा के तुझको,
तेरे हर दर्द सहना चाहता हूँ ।।
मैं बस, तेरा होना चाहता हूँ.......
2 Comments
आशीष जी क्या मैं इस कविता पर वीडियो बना सकता हूं? यदि आपको कोई आपत्ति न हो तो।
ReplyDeleteSorry Bhaija ji...is poem par video ban chuka hai..Jo YouTube par upload ho chuka hai !!
ReplyDeletePlease do not enter any spam link in the comment box.
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