संस्कृत सुभाषितानि - काव्य शास्त्र विनोदेन -
Subhasitani- Kvyashastra Vinoden
kavyashastra vinoden |
About
इस श्लोक में विद्वानों एवं मूर्खों के लक्षण के बारे में बताया गया है |
काव्य शास्त्र विनोदेन, कालो गच्छति धीमताम्।व्यसनेन च मूर्खाणां, निद्रयाकलहेन वा । ।
अर्थ :-
बुद्धिमान एवं विद्वान मनुष्य अपना समय काव्य शास्त्र के पठन- पाठन में लगाते हैं अर्थात व्यतीत करते हैं जबकि मूर्ख मनुष्य अपना समय सोने में, व्यसन में और कलह में लगाते हैं |
सन्देश :-
हमें प्रकृति द्वारा प्रदत्त अपना समय गलत कार्यों में कभी भी व्यतीत नहीं करना चाहिए |
- चाणक्य निति से
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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