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पलायन (मोटिवेशनल कविता) - Motivational poem in Hindi

पलायन (मोटिवेशनल कविता)
 Motivational poem in Hindi

Motivational poem in hindi - पलायन 

About this poem

"पलायन " कवि आशीष उपाध्याय  "एकाकी " के द्वारा रचित  एक मार्मिक कविता है  | 
 इस  कविता में कवि प्रवासी मजदूर बंधुओं की असीम पीड़ा को महसूस कर  पन्ने  पर  उतारने  का  खूबसूरत प्रयास किया है  | केवल  भारत नहीं दुनियां के सभी विकासशील तथा  पिछड़े देशों में  प्रवासी मजदूर बंधुओं का यही हाल है  | 
इस कविता के द्वारा समाज को ये बताने का भी प्रयास किया गया है, कि अपने घर से बाहर  जाकर काम करने वाला मजदूर ही नहीं ,बल्कि उसका सारा परिवार उसके साथ उसकी ख़ुशी मात्र के लिए लगा हुआ 
है | कविता की हर एक पंक्तियाँ प्रेम और रूदन का प्रत्यक्ष प्रमाण दे रही है |  
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ऊंचे महलों की मीठी रोटियां,
सूनी झोपड़ियों में ही बनती हैं |
जहां आंगन में बैठी बूढ़ी मां,
अपने लाल की राहें तकती है ||

बाबूजी ने भी अपनी आंखों में,
अब सागर को उतारा है ||
जबसे सूना है, कि उनके ललन को परदेश में,
सूखी रोटी नें मारा है ||

छोटी बहन ने भी सिलबट्टे पे, नन्हें हाथों से,
अमियां की चटनी बनाई है |
जबसे प्यारे भाई के आनें की खबर,
उसके फोन पे आई है ||

उधर प्राण हथेली पर लिए,
वो चला आ रहा है |
देके दिलासा खुद को,
खुद ही रो- गा रहा है ||

उसका बस यही कसूर है ,
कि, रोटी के लिए वो मारता है |
घर जानें को आतुर, "बाबूजी"
वो मिलों पैदल चलता है ||

 © कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 

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