युक्ताहारविहारस्य - भगवतगीता
yukt aahar viharasya in hindi
About
इस श्लोक के माध्यम से श्री कृष्ण ने यह बताया है, कि किस प्रकार का आचरण हर मनुष्य के जीवन को सुखदायी और सात्विक बना सकता है | श्लोक
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा ।।
अर्थ
दुखों का नाश करने वाला योग तो यथायोग्य
आहार और विहार करने वाले का, कर्मों में यथायोग्य
चेष्टा करने वाले का तथा यथायोग्य
सोने और जागने वाले का ही सिद्ध होता है |
सन्देश
यदि हम अपने कर्मों को सात्विक बनाते हैं,
युक्त आहार और विहार में लगते हैं और यथा योग्य
सोते हैं, जागते हैं और अपने जीवन को योग में
लगाते हैं तो निश्चय ही हम महान बन सकेंगे और
अर्जुन की तरह योगी भी बन सकेंगे |
भगवतगीता (अध्याय 6 , श्लोक 17)
© कवि आशीष उपाध्याय
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.
Emoji