भगवदगीता अध्याय 1, श्लोक 23 - (योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः)
Bhagwadgeeta Adhyay 1, Shlok 22
Bhagwadgeeta Adhyay 1, Shlok 23 Hindi |
योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः ।
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः ॥
अर्जुन श्रीकृण से कहते हैं कि....
जब तक कि मैं युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इन विपक्षी योद्धाओं को भली प्रकार से देख न लूँ, कि इस युद्ध रूप व्यापार में मुझे किन-किन के साथ युद्ध करना योग्य है, तब तक उसे खड़ा रखिए | 22वें श्लोक से
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मैं उनको भी देख सकूँ, जो ये राजा लोग यहाँ पर धृतराष्ट् के दुर्बुद्धि पुत्र दुर्योधन के हित की इच्छा से युद्ध करने के लिये एकत्रित हुए हैं।
- भगवतगीता
- अध्याय 1, श्लोक 23
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