भगवदगीता अध्याय 1, श्लोक 22 - (यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान्)
Bhagwadgeeta Adhyay 1, Shlok 22
Bhagwadgeeta Adhyay 1, Shlok 22 |
यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान् ।
कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन् रणसमुद्यमे ॥
अर्जुन श्रीकृण से कहते हैं कि....
(हे अच्युत ! मेरे रथ को दोनों सेनाओं के मध्य खड़ा कीजिए) :- 21वें श्लोक से....
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जब तक कि मैं युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इन विपक्षी योद्धाओं को भली प्रकार से देख न लूँ, कि इस युद्ध रूप व्यापार में मुझे किन-किन के साथ युद्ध करना योग्य है, तब तक उसे खड़ा रखिए |
- भगवतगीता
- अध्याय 1, श्लोक 22
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