NCERT Class 6 Sanskrit Chap 8 Sollution
Shlok - 1
About
इस श्लोक में कर्म की प्रधानता को बताया गया है |
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः |
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ||
जिस प्रकार सोते हुए शेर के मुख में मृग अर्थात हिरन अपने आप प्रवेश नहीं करता है उसे हिरन का शिकार करना पड़ता है, ठीक उसी प्रकार उद्यम अर्थात् परिश्रम करने से ही किए गए कार्य में सिद्धि अर्थात् सफलता मिलती है, उसके बारे में केवल सोचने से नहीं ।
संदेश
हमें अपने कर्मों पर सदैव भरोसा रखना चाहिए क्योंकि कर्म ही प्रधान है |
भगवान श्री कृष्ण भी कर्म के प्रधानता की बात भगवतगीता में करते हैं और कहते हैं कि.....
हे अर्जुन ! कर्म ही सर्वस्व है |
Shlok - 2
About
इस श्लोक के माध्यम से पुस्तकों की महत्ता को समझाया गया है |
पुस्तके पठितः पाठः जीवने नैव साधितः |
किं भवेत् तेन पाठेन जीवने यो न सार्थकः ||
यदि पुस्तक में पढ़ा गया जीवन में सिद्ध नहीं किया गया अर्थात नहीं उतारा गया तो पुस्तक में पढ़े उन पाठों का क्या फायदा ? यदि उन पाठों (ज्ञान योग बातों) को पढ़ने से जीवन सार्थक नहीं हुआ तो उन पाठों का क्या प्रयोजन ?
संदेश
पुस्तकों में पढ़े गए पाठों (ज्ञान योग्य बातों) को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए | इससे हमारा कल्याण होगा |
Shlok - 3
About
इस श्लोक के माध्यम से जीवन में सतत कर्म की बात पर जोर दिया गया है |
गच्छन् पिपिलको याति योजनानां शतान्यपि |
अगच्छन वैन्तेयोअपि पदमेकं न गच्छति | |
लगातार चलती हुई चींटी सैकड़ों किलोमीटर की दूरी बहुत ही आराम से तय कर लेती है,लेकिन न चलता हुआ गरुड़ एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाता |
संदेश
हमें अपने जीवन में अपने कर्मों में सदैव सततता बनाए रखना चाहिए | ऐसा करना हमें उन्नति की ओर ले जाएगा |
Shlok - 4
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इस श्लोक में कोयल और कौवे के माध्यम से वाणी की महत्ता को उजागर किया गया है |
काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदः पिककाकयोः |
वसन्तसम्ये प्राप्ते काकः काकः पिकः पिकः ||
कौआ काला होता है और कोयल भी काली होती है, फिर इन दोनों में क्या अंतर है ?
वसंत समय आने पर पता चलता है, कि कौन कौआ है और कौन कोयल है |
अर्थात वसंत के आने पर दोनों एक साथ बोलते हैं तो कोयल कुहूँ कुहूँ करती है और कौआ कांव कांव करता है | जिससे ये पता चल जाता है, कि कौन कोयल है और कौन कौआ है |
संदेश
हर व्यक्ति को सुंदर वाणी में ही व्यवहार करना चाहिए, यदि आप ऐसा नही करते हैं, तो आपकी स्थिति कौवे की तरह ही होगी |
- KAVI ASHISH UPADHYAY
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