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भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 29 - (आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेन - माश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः)

भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 29 - (आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेन - माश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः)
Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 28 in Hindi


भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 28 - (आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेन - माश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः) Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 28 in Hindi, geeta gyan, geeta
Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok Hindi

आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेन-
माश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः ।
आश्चर्यवच्चैनमन्यः श्रृणोति
श्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्चित्‌ ॥

श्री भगवान ने अर्जुन से कहा, कि......

कोई एक महापुरुष ही इस आत्मा को आश्चर्य की भाँति देखता है और वैसे ही दूसरा कोई महापुरुष ही इसके तत्व का आश्चर्य की भाँति वर्णन करता है तथा दूसरा कोई अधिकारी पुरुष ही इसे आश्चर्य की भाँति सुनता है और कोई-कोई तो सुनकर भी इसको नहीं जानता |

- भगवतगीता
- अध्याय 2, श्लोक 29
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