भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 38
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 38 in Hindi
कच्चिन्नोभयविभ्रष्टश्छिन्नाभ्रमिव नश्यति ।
अप्रतिष्ठो महाबाहो विमूढो ब्रह्मणः पथि ॥
अर्जुन ने कहा श्री भगवान ...
हे महाबाहो! क्या वह भगवत्प्राप्ति के मार्ग में मोहित और आश्रयरहित पुरुष छिन्न-भिन्न बादल की भाँति दोनों ओर से भ्रष्ट होकर नष्ट तो नहीं हो जाता ?
- भगवदगीता
- अध्याय 6, श्लोक 38
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