मैं तुझसे दूर जाऊँ कैसे ?
(Sad love Poem in Hindi)
है चाँद भी कहीं गुम ,
और तुम भी हो गुमसुम।
फिर,अपने दिल की बात भला,
बताऊँ कैसे ?
करना चाहता हूँ कुछ बातें तुमसे,
सुनना चाहता हूँ तुम्हारे दिल की धड़कन।
पर, न जानें तुम क्यों कुछ कहती नहीं ?
और मेरी भी तो कुछ सुनती नहीं ?
फिर, मैं तुम्हारे मन की बात भला,
जानूँ कैसे ?
मैं इतना भी परिपक़्व नहीं जो,
तुम्हारी शान्त अदाएँ समझ पाऊँ,
मैं नादाँ तुझपे समर्पित हूँ,
तो फिर कैसे अलग हो जाऊँ ,
तुम ही समझ लो न बातें सारी,
और भूल जाओ सारे शिकवे,
यदि तुम ऐसे ही प्रतिकूल रही,
तो भला,
मैं अपना हाल तुम्हें,
सुनाऊँ कैसे ?
क्या हो गया ?
क्या बात है ?
हर वक्त दिल में हलचल मचाने वाली,
अब इतनी क्यों शांत है ?
तेरा यूँ हो जाना अपरिचित मुझसे,
किस बात का आभास है ?
यदि,
तेरा अब मुझसे कोई रिश्ता नहीं।
तो फिर भला,
मैं अपना सम्बन्ध निभाऊँ कैसे ?
मैं तुमसे दूर जाऊँ कैसे ?
© आशीष उपाध्याय "एकाकी "
गोरखपुर , उत्तर प्रदेश
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