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इनकम टैक्स वाला प्यार - Poem on income tax in Hindi

 इनकम टैक्स वाला प्यार - 
Poem on Income tax in Hindi 

Poem on Income tax in Hindi 

आदमी हम सीधे -सादे, 
करनें चले व्यापार।  
प्यारे मिश्रा जी ने हमें, 
दिया एक उपहार।।  

नवग्रहों को शांत कर,
लिया नाम फलाना का।  
कर विनती श्री गणेश की, 
दुकान किया किराना का।।  

मुनाफा हो रहा था नितदिन,
पर, कुछ बातें थी जो अनकही।  
इसीलिए हर शाम को हम, 
बनाया करते ख़ाताबही ।।   

  इस भागदौड़ भरे जीवन में,
यूँ सामना उनसे हुआ । 
कर दूँ इज़हार-ऐ-दिल उनसे, 
कुछ ऐसा हमरे मन में हुआ ।।  

देखि के साँवर गोरी को, 
मनवा हमार बेचैन हुआ ।  
जब मिल गए वो हमको तो, 
            दिलवा में  Capital-Gain हुआ ।।            

निः स्वार्थ कर रहे थे प्रेम उनसे,
मन में नहीं था कोई क्लेद।  
हमको क्या पता था ससुरी,
ले रही है हमरा भेद।।  

कुस्ती, कबड्ड़ी से लगाव था उसको,
दीवानी थी  SET-MAX की। 
करके दगा ले लिया मज़ा,
वो अफसर निकली, INCOME-TAX की।।  

हम भी जान गए जब उनको,
रचाया कुछ अइसा खेल।  
अपनीं पर जब आ गए, 
तब बुद्धिया हुआ उनका फेल।।  

वो भी कुछ काम नहीं थी,
मारा सैकड़ों-बार घर पे छापा। 
हम भी कम नहीं थे भैया,  
न पकड़ पाया उनका पापा।

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 

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