सावन (पीड़ा - एक पिता की) -
Inspirational poem in Hindi on Father's life
Poem in Hindi on Father's life |
About this poem
"सावन
(पीड़ा - एक पिता की)
कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी" जी के द्वारा रचित एक मार्मिक कविता है | इस कविता के परिपेक्ष्य में कवि कवि के भाव इस प्रकार हैं ! - सावन हर साल आता है | मेघ गरजते हैं और खूब झमाझम बारिश होती है | जंगल में मोर नाचने लगता है | गुलमोहर के फूल खिल उठते हैं | कदंब के छोटे - छोटे गुच्छे ऐसे प्रतीत होते हैं, जैसे कि सुंदरी ने अपने बालों में जुड़े लगाए हों | घरों में बैठे - बैठे सभी तरह - तरह के पकवानों का आनंद लेते दिखाई पड़ते हैं | लेकिन एक घर ऐसा भी है, जहां अभी तक चूल्हा नहीं जला है | छोटा सा बालक अपने पिता का इंतजार कर रहा है, उसके पिता रिक्शा लेके गए हुए हैं | दिन - भर खून पसीना पी करके रिक्शा चलाने वाला पिता जब शाम को १० रुपए लेकर घर आता है और दो सुखी रोटी खा - करके, बिस्तर लगा - करके खुले आसमान के नीचे सोता है | और जब अचानक बारिश होने लगती है, तब वो पिता तब वो व्यक्ति क्या सोचता है ? उसी भाव को इस कविता में मैंने दर्शाने काप्रयास किया है |
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कविता इस प्रकार से है -
कई रातों से बरसता सावन,
कितना पीट रहा है मुझे।
जैसे मेरे प्राणों को भरके मुट्ठी में,
मौत की ओर,
घसीट रहा है मुझे ।।
किसी के यौवन - उद्यान में,
फूल खिले हैं प्रेम के।
किसी ने इस बेदर्द सावन को,
हँसकर गले लगाया है ।।
मेरे तो दिन कट रहे हैं,
एक टूटी चारपाई और फटे कम्बल के साथ।
मेरे मेरे ईश्वर ने मुझसे रूष्ट होकर,
शायद ! शाप दिया है मुझे ।।
फूटी किस्मत, तंग ज़िन्दगी,
साथ में दुखों का पहाड़ मिला।
सर पे तलवार लेके खड़ा,
मनबढ़ आकाश मिला है मुझे।।
किस - किस से मैं कहूँ,
क्या - क्या मिला है मुझे |
जीवन भर पीड़ा सहने का,
वरदान मिला है मुझे।।
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी".
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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