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दिवाली पर कविता (इस बार दिवाली को मन से मनाइए) - Emotional poem on diwali in hindi

दिवाली पर कविता (इस बार दिवाली को मन से मनाइए)
Emotional poem on diwali in hindi

Emotional poem on diwali in hindi

दीप जले सबके मन में, प्राणों - प्राणों तक पहुंचे प्रकाश |
झूमें, गाएं सबके घर आँगन, अन्तः में हो श्रद्धा और विश्वास ||

थोड़ी खुशियों बताशे, सबके घर पहुचाइए |
इस बार दिवाली को मन से मनाइए ||

पैसों को रख तिजोरी में प्रेम लुटाइए |
इस बार दिवाली को मन से मनाइए ||

एक दीप सरहद के प्रदीप की खातिर जलाइए |
इस बार दिवाली को मन से मनाइए ||

जिनके दिए हैं पर तेल नहीं, उनको प्यार पहुँचाइये |
इस बार दिवाली को मन से मनाइए ||

जो बीन रहे हैं फुलझड़ियां और पटाखे सड़कों पे,
उनको घर ले आइए,दो रोटी खिलाइए |

इस बार दिवाली को मन से मनाइए ||

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 
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