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मेरी भव बाधा हरौ की व्याख्या (सूरदास) - Meri Bhav Badha Haro ki Vyakhya

मेरी भव बाधा हरौ की व्याख्या (सूरदास) 
Meri Bhav Badha Haro ki Vyakhya

Meri bhav badha haro hindi meaning - meri bhav badha haro ki vyakhya
Meri bhav badha haro hindi meaning

About 
यह दोहा बिहारी सतसई के मंगलाचरण से लिया गया है, जिसके रचनाकार प्रख्यात कवि बिहारी जी हैं | इस दोहे के माध्यम से बिहारी जी ने राधा और कृष्ण का प्रेम पूर्वक स्मरण किया है |

मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोय |
जा तन की छाई परे स्याम हरित दुति होय ||

श्री राधा जी मेरे जीवन के जन्म मरण की समस्त बाधाओं का हरण करें, जिनके शरीर की छाया मात्र पड़ने से श्रीकृष्ण प्रफुल्लित हो जाते हैं अथवा जिनके कुंदन शरीर की छाया (झलक) मात्र पड़ने से सांवले रंग के श्रीकृष्ण हरे हो जाते हैं अर्थात् प्रसन्न हो जाते हैं |

©व्याख्यानक :- कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
 गोरखपुर, उत्तर - प्रदेश 


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