गुणेष्वेव हि कर्तव्यः प्रयत्नः पुरुषैः सदा
(Guneshvev hi kartavyam in Hindi)
Guneshvev hi kartavyam in hindi |
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इस श्लोक के माध्यम से मनुष्य के गुणों की महत्ता को समझाया गया है |
गुणेष्वेव हि कर्तव्यः प्रयत्नः पुरुषैः सदा।गुण्युक्तो दरिद्रो अपि नेश्वरैरगुणेः समः।।
अर्थात् -
हर मनुष्य को हमेशा गुणों के अर्जन मे अर्थात् अपने आप को सदाचारी बनाने में ही प्रयत्न करना चाहिए |क्योंकि गुणवान व्यक्ति सब जगह प्रशंसा का पात्र है | यदि कोई गुणवान है और उसके पास धन नहीं है, तो भी वह श्रेष्ठ है | इसके विपरित यदि कोई धनवान है, लेकिन उसके पास न तो किसी भी प्रकार का सामाजिक ज्ञान है और न ही वह गुणी है, तो वह प्रशंसा का पात्र नहीं है | अतः हर व्यक्ति को अपने अनमोल जीवन में अत्यधिक सद्गुण धारण करना चाहिए |
संदेश -
हमें अपना अमूल्य समय सद्गुणों को ग्रहण करने में लगाना चाहिए |
(मृच्छकटिकम्)
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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