आँसू कहाँ से लाऊँगा (हिन्दी मोटिवेशनल कविता)
Best self motivation poetry in hindi
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धरती पे सूरज ला सकता हूँ,
आसमां भी झुका सकता हूं ।
चीर के पत्थर का सीना,
उस पर भी अन्न उगा सकता हूँ ।।
पर ढूंढने दिल का चैन, बोलो कहाँ मैं जाऊँगा ?
जो बहे हैं आंखो मेरे, वो आंसू कहां से लाऊँगा ?
जिसका ठीक नहीं आचार,
उसको भी देता आभार ।
सत पथ की ओर चलो तुम भी,
बनी रहे सबकी सरकार ।।
जिन्होंने हर दफा लूटा,उनके नाम कैसे बताऊँगा ?
जो बहे हैं आँखों से मेरे, वो आँसू कहाँ से लाऊँगा ?
दुख ने हर पल घेरा है,
सुख का नहीं सवेरा है ।
लीक से हटकर चलता हूँ,
क्या इसीलिए अंधेरा है ?
छोड़ गए जो मीत मेरे, वो मीत कहाँ अब पाउँगा ?
जो बहे हैं आँखों से मेरे, वो आँसू कहाँ से लाऊँगा ?
अब गीत नहीं अच्छे लगते,
सपने सारे कच्चे लगते ।
उम्मीदों के आँगन में,
सब के सब बच्चे लगते ।।
जो मर हुए हैं गीत मेरे, अब उनको कैसे गाऊँगा ?
जो बहे हैं आँखों से मेरे, वो आँसू कहाँ से लाऊँगा ?
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर - प्रदेश
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