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जगदीश (भक्ति कविता - हिन्दी में) - Best Devotional Poem in Hindi - jagdish

जगदीश (भक्ति कविता - हिन्दी में) - 
Best Devotional Poem in Hindi - jagdish

Hey Mere Jagdish - Devotional Poem in Hindi

मम हृदय उजियार करो,
सकल जगत के ईश |
है चरण कमल का आसरा,
आशीष दो जगदीश ||

मन का तन से निग्रह करो,
दुखों का विग्रह करो |
सुख अमर ज्योति देना दयानिधि,
दिनकर, भानु, रवीश ||

प्रारब्ध समान करो अंत,
काया निर्मल मन हो संत |
दुनियां की दुत्कार सहन करूं,
तव खातिर हे कपीश !

है हाथ जोड़ विनती तुमसे,
है सांसों की गिनती तुमसे |
अब नहीं कुछ मेरा मुझमें,
अन्तिम सांस तुम्ही में गिरे सतीश ||

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

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