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दृष्टिपूतं न्यसेत् पादं वस्त्रपूतं पिबेत् जलम् (Drishtiputam nyesetpadam in hindi)

दृष्टिपूतं न्यसेत् पादं वस्त्रपूतं पिबेत् जलम् 
(Drishtiputam Nyesetpadam in Hindi)

Drishtiputam Nyesetpadam in Hindi

About 
इस श्लोक के द्वारा आचार्य चाणक्य के द्वारा ये बताया है, कि आपको कौन से कार्य करने चाहिए | 

श्लोक 
दृष्टिपूतं न्यसेत् पादं वस्त्रपूतं पिबेत् जलम् |
शास्त्रपूतं वदेद वाक्यं मनः पूतं समाचरेत् ||

अर्थ 
1. हमें अच्छी तरह देखकर पैर रखना चाहिए |
2. कपड़े से छानकर पानी पीना चाहिए |
3. शास्त्र से ( व्याकरण से ) शुद्ध करके वचन बोलना चाहिए |
4. मन में विचार करके कार्य करना चाहिए |

सन्देश 
यदि हम आचार्य चाणक्य के द्वारा कहे गए 
सभी बातों को ध्यान में रखते हैं और अपने जीवन में उन्हें 
समाहित करते हैं तो निश्चय ही हमारा जीवन 
सुखद और सुलभ हो जाएगा |
इसमें कोई संदेह नहीं है |

- चाणक्य निति से 

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 
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