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पुष्पपत्रफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः - pushp patra fal chhaya mool valkal darubhi

पुष्पपत्रफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः - 
pushp patra fal chhaya mool valkal darubhi

pushp patra fal chhaya mool valkal darubhi, पुष्पपत्रफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः | धन्या महीरुहाः येषां विमुखं यान्ति नार्थिनः ||, sanskrit shlok in hindi
pushp patra fal chhaya mool valkal darubhi


About
इस श्लोक में वृक्षों के माध्यम से वृक्षों की तरह मनुष्यों को सदाचरण अपने अंदर समाहित करने की बात कही गई है |

पुष्पपत्रफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः |
धन्या महीरुहाः येषां विमुखं यान्ति नार्थिनः ||

फूल-पत्ते-फल-छाया-जड़-छाल और लकड़ियों से युक्त वृक्ष धन्य होते हैं | जिनसे माँगने वाले कभी भी निराश नहीं होते अर्थात वृक्ष उन्हें सहर्ष अपना सर्वस्व दे देते हैं |

संदेश
प्रत्येक व्यक्ति को वृक्षों की तरह ही सदैव दान और समर्पण की भावना रखनी चाहिए |
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