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भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 45 - (त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन)

भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 45 - (त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन)
Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 45 in Hindi 

Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 45 in Hindi

त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन ।
निर्द्वन्द्वो नित्यसत्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्‌ ॥

श्री भगवान ने अर्जुन से कहा, कि......

हे अर्जुन ! वेदों में मुख्य रुप से प्रकृति के तीनों गुणों का वर्णन हुआ है इसलिए तू इन तीनों गुणों से ऊपर उठ, हर्ष-शोक आदि द्वंद्वों से रहित तथा सुरक्षा की सारी चिन्ताओं से मुक्त आत्म-परायण बन |

- भगवतगीता
- अध्याय 2, श्लोक 45
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