भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 46 - (यावानर्थ उदपाने सर्वतः सम्प्लुतोदके)
Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 46 in Hindi
यावानर्थ उदपाने सर्वतः सम्प्लुतोदके ।
तावान्सर्वेषु वेदेषु ब्राह्मणस्य विजानतः ॥
श्री भगवान ने अर्जुन से कहा, कि......
सभी तरफ़ से परिपूर्ण जलाशय के प्राप्त हो जाने पर छोटे जलाशय के प्रति मनुष्य का जितना प्रयोजन रहता है, ब्रह्म को तत्व से जानने वाले ब्राह्मण का समस्त वेदों से उतना ही प्रयोजन रह जाता है |
- भगवतगीता
- अध्याय 2, श्लोक 46
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