या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी: -
Ya Shree Swayam Sukritinam in Hindi - Durga Stuti
ya shree sukritinam in hindi |
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या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:
श्लोक दुर्गा सप्तशती में वर्णित है, जिसमें माँ भगवती का गुणगान किया गया है और बताया गया है, कि माँ भगवती दुर्गा किस रूप में किस स्थान पर अपनी कृपा दृष्टि करती हैं |
मन्त्र
या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्॥
अर्थ
जो धर्मात्माओं के गृह में लक्ष्मीरूप से, दुरात्माओं के यहाँ निर्धनता रूप से, शुद्ध अन्त:करणवाले पुरुषों के हृदय में बुद्धिरूप से, सज्जनों में श्रद्धारूप से तथा कुलीन मनुष्यों में लज्जारूप से विराजमान रहती हैं,
उन महामाया भगवती दुर्गा को हमसब प्रणाम करते हैं। देवि! आप सम्पूर्ण विश्व का पालन कीजिये।
सन्देश
हमारी प्रवृति जैसी रहेगी ठीक उसी प्रकार से ईश्वर की हमारे ऊपर अनुकम्पा रहती है |
यदि हम अच्छे हैं, परोपकारी हैं और दूसरों के कष्ट को, दुःख को समझने वाले हैं और स्वाभाव रखने वाले हैं, तो ईश्वर की ( मातारानी की ) हमारे ऊपर असीम अनुकम्पा और विशेष आशीष रहता है |
- दुर्गा सप्तशती
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