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मैं तेरी राधा (राधा कृष्ण पर प्रेम कविता)

मैं तेरी राधा (राधा कृष्ण पर प्रेम कविता)
 Radha Krishna Love Poem in Hindi

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 Radha Krishna Love Poem in Hindi : मैं तेरी राधा 


राधे कृष्ण !
              इस नाम को कौन नहीं जानता ? जब कभी भी प्रेम की चर्चा होती है, राधे कृष्ण का नाम सबसे पहले बहुत ही प्यार से लिया जाता है । 
              तो चलिए, मैं आज आपको इन्हीं के प्रेम की एक दास्तां सुनाता हूं ।

राधा कृष्ण के प्रेम की शुरुआत


जब राधा कृष्ण को प्रेम हुआ तो ये बात पूरे ब्रजमंडल में आग की तरह फैल गई और सभी इनके प्रेम की चर्चा करने लगे ।
दोहा 
प्रेम हुआ जब श्याम को, जान गया संसार ।
सभी कहें ये देख लो, कितना प्यारा प्यार ।।


राधा की चिन्ता 


सारी गोपियां राधा कृष्ण के प्रेम को देखकर अपने अपने प्रेम की कल्पनाएं करने लगीं । लेकिन इसके विपरित राधा की चिंता बढ़ने लगी । कि कहीं ऐसा न हो, कि मेरा कान्हा मुझे छोड़कर कहीं चला जाए और मैं अकेली रह जाऊं ।

यमुना घाट पर चुपचाप बैठी, चिंता से व्याकुल राधा को देख कृष्ण बोले ...

दोहा 
आज अचानक क्या हुआ, क्यों हो तुम बेचैन ।
बात करो कुछ प्यार से, पोछो अपने नैन ।।


राधा अपने चिन्ता का कारण बताकर श्याम से सदा साथ रहने का वादा करने के लिए कहती हैं ...


कृष्ण के ऐसा कहने पर राधा कहती हैं, कि .....

कवित्त 
श्याम मैं हूँ तेरी राधा, करो मुझसे ये वादा ।
छोड़ साथ मेरा कभी, दूर नहीं जाओगे ।।

मुरली बजाने वाले, सबको रिझाने वाले ।
मैं जो रूठ जाऊँ कभी, प्यार से मनाओगे ।।

सुनो मेरे प्यारे कृष्णा, मन में है तेरी तृष्णा ।
जब भी बुलाऊँ कभी, दौड़े - दौड़े आओगे ।।

मुझे बस यही आस, रहूँ सदा तेरे पास ।
देके मुझे प्यार कान्हा, दिल में बसाओगे ।।


श्याम का वादा

इतना कहकर राधा फिर से रोने लगती हैं । राधा की व्याकुलता देख कृष्ण राधा का हाथ पकड़ के कहते हैं , कि...

दोहा 
कहीं नहीं मैं जा रहा, छोड़ तुम्हारा साथ ।
कहूँ कसम से राधिके, पकड़े तेरा हाथ ।।

राधा को विश्वास दिलाना असहज हो रहा था। फिर कन्हैया बोले ...


कवित्त 
सुनो मेरी प्यारी राधा, किया तुमसे ये वादा ।
साथ छोड़ तेरा कभी, दूर नहीं जाऊँगा ।।

तेरे बिन राधा रानी, सारी दुनियाँ बेगानी ।
बस तेरे लिए प्रिये, प्रेम गीत गाऊँगा ।।

चाहे जहाँ चला जाऊँ, याद तुमको जो आऊँ ।
जब भी पुकारो मुझे, दौड़ा चला आऊँगा ।।

आस नहीं तोड़ूँ तेरा, एक तूँ ही प्यार मेरा ।
जग देख लेगा कभी, तुझे न भुलाऊँगा ।।


राधा के होठों पे तैरती मुस्कान देख कृष्ण भी हँस कर बोले ...

दोहा 
सुनो बात ये राधिके, अमर हमारा प्यार ।
देख हमारे साथ को, सीखेगा संसार ।।


✍️रचनाकार
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"

विशेष :-
 दोहों एवं कवित्त से संकलित इस कविता की रचना महराजगंज (उत्तर - प्रदेश) की युवा कवयित्री आ० अपर्णा त्रिपाठी ' मासूम ' जी के निवेदन पर की गई है । जिसके रचयिता कवि आशीष उपाध्याय ' एकाकी ' जी हैं।  

यदि आप भी हमसे अपने पसंद की कविताएं लिखवाना चाहते हैं, तो हमसे संपर्क करें ।
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