भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 40
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 40 in Hindi
पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते ।
न हि कल्याणकृत्कश्चिद्दुर्गतिं तात गच्छति ॥
श्री भगवान ने कहा ...
हे पार्थ! उस पुरुष का न तो इस लोक में नाश होता है और न परलोक में ही क्योंकि हे प्यारे! आत्मोद्धार के लिए अर्थात भगवत्प्राप्ति के लिए कर्म करने वाला कोई भी मनुष्य दुर्गति को प्राप्त नहीं होता ।
- भगवदगीता
- अध्याय 6, श्लोक 40
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